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Tuesday 25 October 2016

" रुक थोड़ा साँस ले " ( This poem was broadcasted on All India Radio in my voice.)

रुक थोड़ा साँस ले |
जीवन के एहसास ले |
खुद को खोल ले, विचारों को समेटकर |
शांति को महसूस कर, अकेले में बैठकर |
नाज़ुक क्षणों में खुद को रोककर |
ताल को यूँ ठोककर |
ताल में मिल जा जो तू |
ताल ही हो जा तू |
ताल को फिर साज दे |
रुक थोड़ा थोड़ा साँस ले |
जीवन के एहसास ले |


ज़माने में बहुत खो लिया |
कुछ ज्यादा ही हो गया |
खुद से मिल ले कभी |
मौका है अभी अभी |
भौतिकता से दूर हो |
तो फिर चेहरे पर नूर हो |
हौसले की डोर थाम और धैर्य को तू थाम ले |
अँधेरा छट जाएगा,उजाले के सामने |
न आगे कुछ न पीछे कुछ जो हे सिर्फ यह पल हे |
इस पल में डूब ले जरा और खुद को तराश ले |
रुक थोडा साँस ले |
जीवन के एहसास ले |

प्रेम मिला, दर्द मिला |
कहीं गर्म, तो मौसम कहीं सर्द मिला |
ये मिला, वो मिला |
तू कभी ठहरा, तो कभी डिगा |
जो मिलना था, मिलता रहा |
जो जाना था, जाता रहा |
तू बचा, तनहा बचा |
तू नगमा था, उसने रचा |
अब धुन तू बना ले जरा |
थोड़ा मुस्कुरा ले जरा |
आबरू को थाम ले और रूह को आवाज़ दे |
रुक थोड़ा साँस ले |
जीवन के एहसास ले |



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