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Freelance Journalist, Mechanical Engineer, Writer, Poet, Thinker, Creator of Naya Hindustan (Youtube)

Friday 19 January 2018

गज़ल : - ' ख्वाब ऊंचे हैं तो ऊंचे ही मंसूब हो '

ख्वाब ऊंचे हैं तो ऊंचे ही मंसूब हो।
खर्चे चाहे काम रहें पर चर्चे खूब हो।

इस छत को और ऊपर उठाया जाए।
घर छोटा रहे पर छत पर पूरी धूप हो।

नीवों को घुमाया जाए।
दिल फ़क़ीर रहे पर हर रंग में भूप हो।

नज़रिया कुछ मोड़ा जाए।
महल रजवाड़ों के रहें अपनी शख्सियत ही बा खूब हो।

मौत को भी चुनौती दी जाए।
ज़मीन थोड़ी कम रहे पर, अपना स्तूप हो।