My photo
Freelance Journalist, Mechanical Engineer, Writer, Poet, Thinker, Creator of Naya Hindustan (Youtube)

Monday, 3 February 2025

शीर्षक: निद्रा की खोज

जीवन के संघर्षों में,
अवसादित सिंचित वर्षों में,
क्षणभंगुर उन्मादित हर्षों में,
निष्कर्ष खोजते निष्कर्षों में, 
खो गई है निद्रा।

सामाजिक–पारिवारिक बवालों में,
स्वयं के स्वयं से सवालों में,
प्रेयसी के मूर्छित ख्यालों में,
नियति के निष्ठुर निवालों में,
कहीं खो गई है निद्रा।

राजनैतिक–वैज्ञानिक चिंतन में,
आत्मिक–आध्यात्मिक मंथन में,
वैयक्तिक–चारित्रिक स्कंदन में,
नैतिक–भौतिक क्रंदन में,
गुम हो गई है निद्रा।

स्वप्नों की अखंड अग्नि में,
एकांत की शांत ध्वनि में,
यौवन की प्रस्फुटित रवानी में,
शून्य से शून्य तक की कहानी में,
शायद, स्वयं ही सो गई है निद्रा।

       पुलकित उपाध्याय