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Freelance Journalist, Mechanical Engineer, Writer, Poet, Thinker, Creator of Naya Hindustan (Youtube)

Monday, 20 July 2020

उदासी

जीवन से परे, प्रकृति के नज़दीक, रहस्यमयी एकांत में, भावनाओं के बवंडर पर सवार, वक्त को खुद की तहों में समेटे, कभी क्षितिज पर, कभी बगीचे में, कभी खुले आसमान में पंछियों के बीच, कभी मीचि आँखों में कपाल के करीब, शांत, सहज, कुँए के जल के समान स्थिर और समुद्र की लहरों के समान गतिमान, हवा के झोंकों के हर एक कतरे में, हर सूर्यास्त और सूर्योदय के मध्य, हर सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य, मजदूर के चेहरे पर रोटी के रूप में, सेठ के चेहरे पर बोटी के रूप में, शिक्षा के चेहरे पर धन के रूप में, धन के चेहरे पर मन के रूप में, युवाओं के चेहरे पर वासना के रूप में, बुजुर्गों के चेहरे पर प्रेम के रूप में, आकाश की सतह पर बादलों के आकार में, जंगलों की नति पर अग्नि के प्रकार में, हर क्षण में, हर कण में, हर जीवन में, हर नयन में बचपन से दूर, साँसों की आवाजाही में हर तरफ, हर दिशा, हर क्षेत्र, हर अवस्था, हर व्यवस्था, हर कथा में जो मिथ्या है, जो संख्या है वह सब फंतासी है, जो सत्य है, चिरस्थायी है, जो बिना किसी आवेश के पसरी है, वही उदासी है।